माँ भारती की स्वर्णिम माटी,,,..

माँ भारती की स्वर्णिम माटी हमें है चंदन।
माटी हमारी पूजा, माटी हमें है वंदन
मेरे अवध की सरयू श्रीराम को बुलाती
मथुरा में मातु यमुना कान्हा के गीत गाती
रुद्राभिषेक करती काशी में गंगा पावन ॥ माटी हमारी,,
राजेंद्र,शालिवाहन, न्रूप दिगजयी हुए थे,,
गोविंद प्रताप शिवबा, धर्मार्थ ही लड़े थे
कभी झूझी लक्ष्मी भाई, कभी टोपे क्रांति नंदन ॥ माटी हमारी,,
गरजी थी वेद वाणी, ऱिशिवर दया से मुखरित
गूँजी विवेक वाणी, श्रीरामकृष्ण प्रेरित
फैली दिशा दिशा में, अध्यात्म मन्त्र चिंतन ॥ माटी हमारी,,
केशव ने स्वप्न देखा, मधु ने उसे संवारा,
हिन्दुत्व मन्त्र प्रगटा, सब ने उसे बढ़ाया
फैली यह संघ सरिता, दिश दिश किया है सिंचन ॥ माटी हमारी,,
माँ भारती के सुत हैं सारे समाज बंधु
हर वर्ग बिन्दु बिन्दु हिन्दु समाज सिन्धु
एकात्मता के बल पर समरस यहाँ है जीवन॥ माटी हमारी,,

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