ऐतिहासिक शिव मंदिर में मकर संक्रांति पर सात दिवसीय घृत मंडल पर्व का शुभारंभ हुआ । एक जन श्रुति के अनुसार कैलाश पर्वत पर भारी ठंड पड़ने पर भगवान भोलेनाथ यहां आकर निवास करते हैं और उन्हें आराम देने के लिए शिवलिंग के ऊपर घी से मक्खन बनाकर लेप किया जाता है। पहले घृत मंडल के लिए लगभग एक मन देशी घी को सौ बार जल में धोकर मक्खन बनाया जाता था, मगर अब धीरे-धीरे शिव भक्त भी इस पुण्य कर्म में योगदान देते हैं। यह घी मन से बढ़कर अब क्विंटलों तक जा पहुंचा है। मक्खन से ऊंचा व खंभाकार मंडल बनाया गया है। पुजारियों की अथक मेहनत से इसे बनाकर सूखे मेवों, लवंग व इलाचियों आदि से सुंदर आकृति प्रदान की गई है। चर्म रोगों में मरहम के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह घी पहले मंडी के राजा भीमसेन द्वारा चढ़ाया जाता था, क्योंकि उन्होंने यहां पर स्थित शिवलिंग को मंडी स्थित भूतनाथ मंदिर में स्थापित करने के उद्देश्य से शिवलिंग को उखाड़ने की कुचेष्टा की थी,ज ब वह इस उद्देश्य में सफल न हो सके तो अचेत हो गए। तब मां गौरी सहित भगवान शंकर ने उन्हें दर्शन देकर चेताया था कि अगर इसे हाथ लगाया तो सर्वनाश हो जाएगा। राजा भीमसेन ने भूल सुधारने हेतु मकर संक्रांति पर्व पर शिवलिंग पर मक्खन का लेप करने का संकल्प लिया।
||जयकारा वीर बजरंगी,,,,,,,,हर हर महादेव ||