वैशाख अमावस्या

वैशाख मास अमावस्या का अपना ही महत्व है । कहते है इस दिन पीपल की पूजा करते हैं तो पितृ दोष शांत होता है। इस बार दो दिन है वैशाख मास अमावस्या। 7 और 8 तारीख को। उदया तिथी के लिए यह 8 तारीख को मनाई जाएगी। व्रत और दान भी 8 मई २०२४ को ही किया जाता है। ब्राह्मिन भोज और ब्राह्मणों को दान करने का अपना ही महत्व है। पितृ तर्पण इस दिन करे तो पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। इस दिन दूध मैं तिल डालकर पीपल के वृक्ष मैं अर्पण करा होता है।

कथा : एक ब्राह्मण होता है , वह पूजा पाठ , धार्मिक कर्म मैं तन मन से लगा रहता है । एक दिन वह धार्मिक सभा मैं जाता है ओर वहां जानता है की कलयुग मैं हरी कीर्तन ही भक्ति मुक्ति का एक मात्र सहारा है। बस इतना जानकर वह सन्यास धारण कर लेता है और भ्रमण करने निकल जाता है। एक दिन उसे स्वप्न में अपने पितृ बहुत ही दुखी दिखाई देते है। तब वह इस पर विचार करता है तो समझ जाता है की इसके बाद उसके पितृ का तर्पण करने वाला कोई नहीं है। तब वह सन्यास त्यागकर घर वापिस आता है और विवाह करता है। सन्तान उत्पन करता है। अब वह पितृ तर्पण करता है । जिससे उसे स्वप्न मैं अपने पितृ प्रसन्न और मुक्त होते दिखते हैं। उसने वैसाख अमावस्या के दिन पितृ तर्पण किया था इसलिए इसके पितृ बहुत प्रसन्न है। ओर अब पितृ मुक्त हो गए हैं। दान: प्रातः स्नान k बाद दान भी सामर्थ्य अनुसार करा होता है।