मोहिनी एकादशी
इस बार मोहिनी एकादशी 19 मई को मनाई जाएगी ।
एकादशी को मोहिनी एकादशी क्यों कहा जाता है?
यह एक पौराणिक कथा है । सागर मंथन के समय जब अमृत आया तब असुर इसे अकेले ही पाना चाहते थे। ओर असुर अमृत ले कर भागने लगे। देवताओं की सहायता के लिए भगवान स्वयं मोहिनी अप्सरा का वेश धारण कर के आए। ओर असुर को मोह में डाल अमृत देवताओं में बांट दिया। क्यूं की इस दिन एकादशी थी इसलिए इसका नाम मोहिनी एकादशी हो गया। कहते हैं मोहिनी अवतार इतना प्रभावशाली था कि स्वयं भगवान शिव भी मोहिनी पर मोहित हो गए थे।
🙏🌺🙏: मोहिनी एकादशी व्रत कथा
एक नगरी में एक राजा राज करता था । उस नगरी में सब विष्णु भगत थे। एक वैश्य सबसे अधिक विष्णुभगत था। सब इस बात को मानते थे। उस वैश्य के पांच पुत्र थे। उनमें एक पुत्र बहुत अधर्म कार्य करता था। वह चोरी करता , लोगों का सामान बिना पूछे ले लेता।
एक दिन उसको राजा के सैनिकों ने पकड़ लिया। पिता के बारे में जान राजा ने उसको जाने दिया।
दूसरी बार जब सैनिकों ने उसे पकड़ा तो राजा ने उसको राज्य से बाहर कर दिया।
तब वह एक अपरिचित नगरी में पहुंचा । वहां भूख से व्याकुल वह नदी के तट पर गया। अनायास ही वहां स्नान कर रहे
ऋषि के कपड़ो के छींटे उसके ऊपर पड़े । तो उसको बुद्धि ज्ञान आया। उसने ऋषि को प्रणाम कर कहा, हे ऋषि मैंने बहुत ही पाप कर किए हैं कृपया मुझे सदमार्ग बताएं।
ऋषि ने उसको कहा वह वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी व्रत कर के पाप मुक्त हो सकता है।
उस दुष्टबुधि ने मोहिनी एकादशी व्रत किया और पाप से मुक्त हो गया।
जीवनोपरांत उसको वैकुंठ से गरुड़ लेने आए। 🙏🌺🙏: कथा के उपरांत श्री विष्णु कि आरती करनी चाहिए